Tuesday, 13 January 2015

A poem with full of happiness titled Varsha

वर्षा 


उपवन की बहार देखो 
खुशबु मजेदार देखो 
कलियों का श्रृंगार देखो 
सावन की फुहार देखो। 


माटी की सुगंध देखो 
हलधर की उमंग देखो 
पशुओं की तरंग देखो 
खेतों का यह रंग देखो। 


बांधों का भराव देखो 
नदियों का ये ताव देखो 
बारिश के  पानी में बहती 
कागज़ की ये नाव देखो। 


मेघों का संगीत देखो 
धरती संग प्रीत देखो 
अरमानों की जीत देखो 
होटों पर ये गीत देखो। 


बच्चों की मुस्कान देखो 
चिड़ियों की उडान देखो 
वर्षा की झोली से निकली 
खुशियों की पहचान देखो।

- महेश कुमार बैरवा 

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