Thursday, 18 December 2014

Hindi Poem on Attitude Towards Life

 नजरिया 

मशीनी है दुनिया तनाव बड़ा है 
मानव का मानव से टकराव बड़ा है 
सूखा है करुणा का लहराता सागर 
इसीलिए खुशियों का यहाँ भाव बड़ा है१ 

अच्छाई यहीं है बुराई यहीं है 
नफरत से पनपी तन्हाई यहीं है 
यहीं है सफलता का लहराता परचम 
और फूटी हुई किस्मत दुहाई यहीं है २ 


जीत हो मेरी और विरोधी की हार हो 
सबसे पहले यारों इस सोच में सुधार हो 
मैं भी रहूँ फलता घर उसके बहार हो 
कुछ ऐसे विचारों का हर दिल में विस्तार  हो३ 


जरूरत हो जितनी धन उतना करीब हो 
न कोई धनी और न कोई गरीब हो 
संतोष का सुख हर घर को नसीब हो 
हो दिलों में मोहब्बत कुछ ऐसी तरकीब हो ४ 

- महेश कुमार   बैरवा 










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