Hindi Poem on Holi Festival
होली
खुशियां है भरती झोली में
चेहरा रंगों में रंग जाता है
हर वर्ष फाल्गुन मास में जब
होली का त्यौहार आता है।
लो आ गया हुड़दंगियों का झुंड
अब जम कर मस्ती और धमाल होगा
थिरकेगी तबले की ताल पर कुडियां
और मुण्डों का दिल भी बाग़-बाग़ होगा।
अरे ! देखो उस कोने में
वहां कोई टल्ली होकर खड़ा है
भांग मिली हुई लस्सी पर
शायद उसका भी हाथ पड़ा है।
चारों तरफ खुशियां ही खुशियां है
हर शख्श मस्ती में चूर है
छुपा कर अपने को प्यार की छाँव में
ग़मों की धुप से वह कोशों दूर है।
चेहरे पर सभी के लाली है
चाल भी सभी की मतवाली है
समझ में नहीं आता कौन शाली है
और कौन सी मेरी घरवाली है।
- महेश कुमार बैरवा
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